धर्मयुग पत्रिका का आबिद सुरति कृत ढब्बूजी अपने व्यंग और कटाक्ष से हिंदी पाठकों के दिलों पे शुरुआती दिनों से ही राज करने लगा था।
ढब्बूजी की वेशभूषा आबिद सुरती साहब ने अपने वकील पिता से ली थी। ढब्बू जी का आगमन वैसे बटुक भाई (यानी बौने मियां) के नाम से गुजराती पत्रिका "चेत मछंदर" में हुआ था। पर पहले महीने ही इसकी आलोचना हुई, 3 महीने बाद ही बंद। दुःखद शुरुआत।
ढब्बूजी की वेशभूषा आबिद सुरती साहब ने अपने वकील पिता से ली थी। ढब्बू जी का आगमन वैसे बटुक भाई (यानी बौने मियां) के नाम से गुजराती पत्रिका "चेत मछंदर" में हुआ था। पर पहले महीने ही इसकी आलोचना हुई, 3 महीने बाद ही बंद। दुःखद शुरुआत।